इंसानी नादानी की कहानी है बाढ़
स मानसून के मौसम में देश के तमाम शहर बाढ़ की चपेट में आये हैं। बाढ़ का तात्कालिक कारण ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्षा का पैटर्न बदल रहा है। पूर्व में जो पानी तीन माह में धीरे-धी रे बरसता था, अब वह कम ही दिनों में तेजी से बरस रहा है। जब पानी तेजी से बरस रहा होता है, उस समय नदियों को अधिक पानी समुद्र तक पहुंचाना पड़ता है, जिसके लिये उन की क्षमता क म पड़ रही है। इसलिये बाढ़ आ रही है। जाहिर है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते नदी को पानी वहन करने की क्षमता को बढ़ाना होगा ताकि तेज हुई बारिश के पानी को वह समुद्र तक ले जाये लेकिन हमने इसके विपरीत नदी की वहन शक्ति को कई तरह से कमजोर किया है, जिसके कारण बाढ़ का प्रकोप ज्यादा हो गया है।देश की कई शहरी नदियों में रिवरफ्रन्ट डेवलेपमेंट योजनायें लागू की जा रही हैं। इन योजनाओं में नदी के दोनों तरफ खड़ी दीवारें बना दी जाती हैं, जिससे नदी का पानी एक निर्धारित क्षेत्र में ही बहता है। आसपास की जमीन पर प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट या सड़कें बनाई जा सकती हैं। इस प्रकार का विकास अहमदाबाद में साबरमती और लखनऊ की गोमती नदी में देखा जा सकता है। इन ख